इस दुनिया में जिस दिन आपने अपनी सोच बड़ी कर ली,तो उस दिन से बड़े या छोटे सभी लोगों के दिमाग में आप आना शुरू हो जाओगे और आप खुद एक दिन बड़े इंसान बन जाओगे|
दोस्तों, एक दिन की बात हैं एक भिखारी जिसका नाम गोपाल हैं और वो रेलवे स्टेशन पर रहता था|रोज का उसका काम था| कि एक ट्रैन में में जाता और कोच में लोगों से भीख मांगता हैं| जिसने उसे भीख दे दिया तो ठीक हैं नहीं तो कोई बात नहीं,ऐसे ही वो अपनी जिंदगी व्यतीत कर रहा था|
एक दिन ऐसे ही वो भीख मांग रहा था| एक ट्रैन से उतरकर दूसरी ट्रैन में भीख मांगने जा रहा था तभी उसे एक सूट-बूट में अमीर आदमी दिखा,तो सीधे वो भिखारी उसके पास गया और उसने सोचा कि वह आदमी एक बहुत बड़ा व्यापारी लग रहा हैं| जो मुझे ज्यादा भीख दे सकता हैं,वह उस आदमी से भीख मांगने लगा|
वह आदमी बहुत देर तक उसको देखता रहा और उस पर चिल्लाने लगा और कहने लगा की जब मैं तुम्हें भीख नहीं देना चाहता तो तुम क्यों पीछे पड़े हो| दूसरी बात में तुम्हें भीख दे भी दूँ,तो तुम मुझे बदले में क्या दे सकते हो|
भिखारी ने कहा साहब मेरे पास देने के लिए कुछ नहीं मैं तो खुद भीख मांग कर अपना पेट भरता हूँ,मेरी औकात ही क्या हैं,जो मैं आपको कुछ दे सकूँ| तो उस आदमी ने कहा कि जब तुम कुछ दे नहीं सकते हो,तो कुछ लेना भी नहीं चाहिए और भीख माँगना भी बंद कर दो|
जैसे ही उस आदमी की ट्रैन आयी वो उस ट्रैन में चढ़कर चला गया और भिखारी उसी स्टेशन पर खड़ा होकर सोचने लगा कि मैं किसी को क्या दे सकता हूँ| उसने इधर उधर देखा उसे बहुत सी चीजें दिखी,तभी उसकी नजर कुछ फूलों के पौधे पर गयी| तभी उसने सोच लिया कि जो मुझे भीख देगा मैं बदले में उसे एक फूल दूंगा|
तो अगले दिन से गोपाल भिखारी ने यह करना शुरू किया|जो भी इसे भीख देता ये बदले में उसको एक फूल दे देता और लोगों को भी अच्छा लगने लगा की चलो यार पहली बार ऐसा भिखारी दिखा जिसको भीख देने पर वो भिखारी फूल दे रहा हैं|
कुछ महीने तक सब कुछ ऐसे ही चलता रहा|इसके बाद फिर से एक दिन वही आदमी ट्रैन में भिखारी को मिला| भिखारी जल्दी से उसके पास गया और उससे कहने लगा साहब अब की बार मेरे पास आपको भीख के बदले में देने के लिए कुछ हैं| अब आप मुझे भीख दो|
आदमी ने उस पर विश्वास किया और अपनी जेब से कुछ पैसे निकाल कर उसको दे दिए,तो भिखारी ने भी अपने पोटली में से फूल निकाल कर उन साहब को दे दिया,वो आदमी बड़ा खुश हुआ और उसने भिखारी से कहा कि अब मुझे लगता हैं,‘कि तुम व्यापार करना सिख गए हो,अब तुम्हें समझ आ गया हैं कि लेन-देन क्या होता हैं|
जिंदगी में जब तक कुछ दे नहीं सकते हो,तब तक कुछ लेना भी नहीं चाहिए| ऐसा कहकर वो आदमी फिर से अपने काम की ओर चला गया|
भिखारी के दिमाग में वो बात जम गयी| उसने सोचा कुछ तो बात हैं,वो स्टेशन से बहार आया और जोर-जोर से चिल्लाने लगा और बोलने लगा की मैं भिखारी नहीं, मैं व्यापारी हूँ और मैं भी उन साहब की तरह बनकर दिखाऊँगा| मेरे पास भी घर,पैसा सब चीज होगी ये बोलने लगा तो आस-पास के लोग जो सुन रहे थे,वो सोचने लगे कि लगता हैं भिखारी पागल हो गया हैं|
6(छह) महीने तक वो भिखारी उस स्टेशन पर दिखाई नहीं दिया| छह महीने भिखारी ने खूब मेहनत की और एक आमिर आदमी बन गया|
फिर क्या , छह महीने बाद दो सूट-बूट में आदमी उसी Station मिले,जिसमे से एक गोपाल भिखारी था और दूसरे वो साहब जिससे उसको प्रेरणा मिली थी|
तब गोपाल भिखारी ने उस आदमी से कहा,नमस्कार! पहचाना तीसरी बार मिल रहे हैं| तो आदमी कहता हैं नहीं हम शायद पहली बार मिल रहे हैं|
तो वो गोपाल भिखारी कहता हैं,नहीं नहीं दो बार पहले भी मिल चुके हैं,आपको याद नहीं हैं मैं वो भिखारी हूँ| जिसको आपने पहली बार में सिखाया कि लेन-देन कितनी बड़ी बात होती हैं और दूसरी बार में सिखाया की मेरी सोच को मैं बड़ा करूँगा तो मैं भी आपकी तरह बन सकता हूँ| आज देखिए मैं भी आपके तरह बन गया|
मैंने पहले फूल तोड़कर देने शुरू किया,फिर मैंने फूल खरीदने शुरू किये और आज मेरा फूलों का बहुत बड़ा व्यापार हैं|
दोस्तों! ये छोटी सी कहानी हमे बहुत कुछ सिखाती हैं| जब तक हम अपनी जिंदगी में अपनी सोच बड़ी नहीं करेंगे,तब तक हम अपने जीवन में सफल नहीं हो पायेंगे|
और दोस्तों! एक चीज और सिखाती हैं जब तक हम अपने जीवन में प्रयास नहीं करेंगे,ऊर्जा नहीं देंगे तब तक भी हम सफल नहीं हो पाएंगे|
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1 Comments
Very nice story
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